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Supreme Court का बड़ा फैसला, सड़क दुर्घटना में मृतक के परिवार को 50 लाख से अधिक मुआवजा देने के आदेश

Supreme Court ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिवार को 50 लाख से अधिक मुआवजा देने के खिलाफ फैसला सुनाया गया था। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का यह आदेश “अजीब” था। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया।

मुआवजे का मामला और ट्रिब्यूनल का फैसला

मध्य प्रदेश के सतना जिले में मोटर वाहन दावा न्यायाधिकरण (MACT) ने पीड़ित की पत्नी और बेटे की याचिका को स्वीकार किया था। न्यायाधिकरण ने पीड़ित के परिवार को 50,41,289 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।

उच्च न्यायालय ने मामले को नजरअंदाज किया: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को लेकर कड़ी टिप्पणी की। पीठ ने कहा, “हम हैरान हैं कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 173 के तहत पहली अपील में, उच्च न्यायालय ने मामले को नजरअंदाज कर दिया और एक छोटे आदेश के माध्यम से MACT के फैसले को पलट दिया।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 173 के तहत की गई अपील पहली अपील की प्रकृति की होती है। ऐसे में उच्च न्यायालय से यह उम्मीद की जाती थी कि वह MACT के समक्ष प्रस्तुत मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करेगा।

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क्या था पूरा मामला?

यह मामला 2018 का है। पीड़ित, जो मैहर तहसील में सहायक पोस्ट मास्टर के पद पर कार्यरत थे, 18 जून 2018 को काम के बाद घर लौट रहे थे। उसी समय एक तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी कार को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में पीड़ित की रीढ़ की हड्डी टूट गई और उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि, उसी दिन उनकी मृत्यु हो गई।

पीड़ित के परिवार ने न्यायाधिकरण में याचिका दायर कर कहा कि दुर्घटना ट्रक चालक की लापरवाही से हुई थी। न्यायाधिकरण ने यह दावा स्वीकार किया और पीड़ित के परिवार को 50 लाख से अधिक मुआवजा देने का आदेश दिया।

उच्च न्यायालय का आदेश

MACT के इस आदेश को बीमा कंपनी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए MACT के आदेश को रद्द कर दिया कि याचिकाकर्ताओं ने यह साबित करने के लिए कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया कि दुर्घटना ट्रक से हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

पीड़ित परिवार ने उच्च न्यायालय के अगस्त 2023 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के निर्णय को पूरी तरह “अस्वीकार्य” बताया।

पीठ ने कहा, “हमने मामले को उच्च न्यायालय में पुनर्विचार के लिए भेजने पर विचार किया, लेकिन चूंकि घटना को छह साल बीत चुके हैं, हमने महसूस किया कि किसी भी और देरी से पहले से ही परेशान परिवार की पीड़ा और बढ़ेगी।”

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सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि MACT का यह निष्कर्ष सही था कि पीड़ित की मृत्यु ट्रक चालक की लापरवाही के कारण हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने MACT के फैसले को बहाल किया और उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय का निर्णय कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में असफल रहा और यह परिवार के लिए न्याय देने में बड़ी बाधा बन गया।

सड़क दुर्घटनाओं में मुआवजे की आवश्यकता

यह मामला देश में सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने में न्यायपालिका की भूमिका को रेखांकित करता है। सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा देना न केवल उनकी आर्थिक मदद करता है, बल्कि उन्हें न्याय की भावना भी प्रदान करता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार को राहत प्रदान करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि न्यायपालिका सड़क दुर्घटना मामलों में त्वरित और निष्पक्ष न्याय दे। यह निर्णय अन्य मामलों के लिए एक मिसाल के रूप में काम करेगा और भविष्य में सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद करेगा।

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